श्रीरामशलाका प्रश्नावली

रामशलाका प्रश्नावली में किसी भी कोष्टक में किसी भी अक्षर को भगवान श्रीराम का ध्यान करने बाद और अपने मन में जीवन के किसी भी प्रश्न को ध्यान में रखते हुये क्लिक करें,क्लिक करते ही एक चौपाई आयेगी,उस चौपाई का अर्थ लिखा होगा,और उसके अन्दर ही आपके पूंछे हुये प्रश्न का उत्तर होगा,आपसे प्रार्थना की जाती है,कि किसी भी प्रकार से मजाक या परखने के लिये इस रामशलाका प्रश्नावली का प्रयोग नही करें.


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श्रीरामशलाका प्रश्नावली

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मानसानुरागी महानुभावों को श्रीरामशलाका प्रश्नावली का विशेष परिचय देने की कोई आवश्यकता नही प्रतीत होती है। उसकी महत्ता एवं उपयोगिता से प्राय: सभी मानसप्रेमी परिचित होंगे। अत: नीचे उसका स्वरूप मात्र अंकित करके उससे प्रश्नोतर निकालने की विधि तथा उसके उत्तर फ़लों का उल्लेख कर दिया जाता है। श्रीरामशलाका प्रश्नावली का स्वरूप इस प्रकार से है :-

सु प्र बि हो मु सु नु बि धि
रु सि सि रहिं बस हि मं अं
सुज सो सु कु ~स धा बे नो
त्य कु जो रि की हो सं रा
पु सु सी जे म* सं रे हो नि
हुँ चि हिं तु
का मि मी म्हा जा हू हीं
ता रा रे री ह्र का खा जू रा पू
नि को जो गो मु जि यँ ने मनि
हि रा मि रि न्मु खि जि जं
सिं नु को मि निज र्क धु सु का
गु रि नि ती
ना पु तु नु वै
सि हुँ सु म्ह रा
ला धी री हू हीं खा जू रा रे

इस श्रीरामशलाका प्रश्नावली के द्वारा जिस किसी को जब कभी अपने अभीष्ट प्रश्न का उत्तर प्राप्त करने की इच्छा हो तो सर्वप्रथम उस व्यक्ति को भगवान श्रीरामचन्द्र जी का ध्यान करना चाहिये। तदनन्तर श्रद्धा विश्वासपूर्वक मन से अभीष्ट प्रश्न का चिन्तन करते हुये,प्रश्नावली के मनचाहे कोष्ठक में अंगुली या कोई शलाखा रख देनी चाहिये और उस कोष्ठक में जो अक्षर हो उसे अलग किसी कोरे कागज पर लिख लेना चाहिये। जो अक्षर लिख लिया गया है उसके आगे बढने कर अगले अक्षर से नवें कोष्ठक में जो अक्षर लिखा है उसे पहले लिखे अक्षर के साथ जोडते जाना चाहिये,इस प्रकार से मिले अक्षर को नवे अक्षर के साथ जोडते जाने पर प्रश्न की चौपाई मिल जायेगी,जो नौ चौपाइयां बनती है और उनके अर्थ बताये गये है वे इस प्रकार से हैं:-

होइहि सोइ जो राम* रचि राखा । को करि तर्क बढावै साखा॥

यह चौपाई बालकाणड में भगवान शिव और पार्वती के संवाद में है,प्रश्नकर्ता को इस उत्तरस्वरूप चौपाई से यह आशय निकालना चाहिये कि कार्य होने में संदेह है,अत: उसे भगवान पर छोड देना हितकर होगा।

सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी॥

यह चौपाई बालकाण्ड में श्रीसीताजी के गौरी पूजन के प्रसंग में है,गौरी जी ने श्रीसीताजी को आशीर्वाद दिया है,प्रश्नकर्ता का प्रश्न उत्तम है,कार्य सिद्ध होगा।

प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। ह्रदयँ राखि कोसलपुर राजा॥

यह चौपाई सुन्दर काण्ड में हनुमानजी के लंका में प्रवेश करने के समय की है,इसका फ़ल है कि भगवान का स्मरण करने के बाद कार्य का आरम्भ करो सफ़लता मिलेगी।

उधरहिं अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू ॥

यह चौपाई बालकाण्ड के आरम्भ में सत्संग के वर्णन के प्रसंग में है,इसका फ़ल है कि कार्य में भलाई नही है,कार्य की सफ़लता में संदेह है।

बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फ़नि मनि सम निज गुन अनुसरहीं॥

यह चौपाई भी बालकाण्ड के आरम्भ में ही सत्संग वर्णन के समय की है,इसका फ़ल है कि खोटे मनुष्यों का संग छोड दो,कार्य पूर्ण होने में संदेह है।

मुद मंगल मय संत समाजू। जो जग जंगम तीरथ राजू॥

यह चौपाई बालकाण्ड में संत समाजरूपी तीर्थ के वर्णन में है,इसका फ़ल है कि प्रश्न उत्तम है और कार्य सिद्धि होगा।

गरल सुधा रिपु करहिं मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई॥

यह चौपाई हनुमानजी के लंका में प्रवेश के समय की है,इसका फ़ल है प्रश्न बहुत उत्तम है और कार्य सिद्ध होगा।

बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सन्मुख धरि काहुँ न धीरा॥

यह चौपाई लंकाकाण्ड में रावण की मृत्यु के समय में मन्दोदरी के विलाप के प्रसंग में है,इसका फ़ल है कि कार्य पूर्ण होने में संदेह है।

सुफ़ल मनोरथ होहुँ तुम्हारे। रामु लखनु सुनि भए सुखारे॥

यह चौपाई बालकाण्ड में पुष्पवाटिका से पुष्प लाने पर विश्वामित्र का आशीर्वाद है,इसका फ़ल है कि प्रश्न उत्तम है और कार्य सिद्ध होगा।

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