Kuberyantram

श्री कुबेर यंत्रम

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मेरे जीवन में अनेक ऐसे अवसर आये है जब मुझे कुबेर यंत्र का प्रयोग करने का अवसर मिला है,उन अनेक घटनाओं में से एक घटना भूल ही नही सकता हूँ,घटना इस प्रकार से है:-

मेरे एक परम स्नेही मित्र ही नही आज भाई के समान है,और मां भगवती की कृपा से स्वयं एक फ़ैक्टरी के मालिक है,चार साल पहले उनके जीवन में ऐसी घटना आई,एक ऐसी विपत्ति से उन्हे गुजरना पडा कि वे कुबेर से कंगाल हो गये,एक प्रकार से स्वयं हिम्म्त रखने के बाद भी आत्महत्या पर उतारू हो गये,जीवन हार चुके थे,हुआ इस प्रकार कि उस विपत्ति काल में उनके यहां कोई एक सिद्ध महात्मा जी स्वयं अच्छे ज्योतिषी थे,या होंगे,उनका काफ़ी नाम सुनकर मेरे मित्र उनके पास जा पहुंचे,विपत्ति सुनकर महात्मा ने उन्हे कुबेर यंत्र बनाकर दिया,और उसके साथ ही कुबेर मंत्र का जाप करने के लिये दिया,परन्तु दुर्भाग्य से कुबेर यन्त्र जहां अशुद्ध बना हुआ था,वहां पर मंत्र भी अशुद्ध था,फ़लस्वरूप वे और अधिक रसातल में जा पहुंचे,उन्ही दिनों एक पत्रिका में मेरा लेख धन प्राप्ति का अनूठा प्रयोग छपा था,उस पत्रिका के सम्पादक से पता ले कर वे मेरे पास पहुंचे।

उनके द्वारा बुलाये जाने पर मैं उनके यहां जा पहुंचा,और उनकी पूरी कहानी सुनकर उन महात्मा द्वारा दिया गया कुबेर यंत्र भी देखा,यंत्र को देख कर मेरी समझ में पूरी बात आ गयी,मैने दुबारा से उन्हे कुबेर यंत्र बनाकर दिया,और उनको मंत्र उच्चारण की विधि भी बताई,नौ माह के बाद वे अपनी स्थिति पर जो पहले थी उस पर पहुंचने लगे,और उन्होने उस मंत्र तथा यंत्र का साथ नही छोडा,आज वे एक बडे उद्योगपति है,और अपना नाम और पैसा कमा रहे हैं।

कुबेर देवताओं के कोषाध्यक्ष माने जाते है,उनकी साधना मानवेत्तर प्राणियों ने और देवताओं ने भी की है,शास्त्रों के अनुसार दारिद्रयहीन,भाग्यदोष निवारण,आर्थिक उन्नति,और जीवन की विषमताओं को दूर करने के लिये कुबेर यन्त्र और मन्त्र आश्चर्यजनक रूप से फ़लदायी है। उनके यंत्र और मंत्र पर शक करना अपने को ठगाने के समान है।

भारत भ्रमण के दौरान कुछ ही लोगों के पास मैने इस यंत्र को देखा है,अधिकतर यह महादुर्लभ यंत्र सही तरीके से कोई भी स्वार्थपरता के कारण नही देता है,मैं आप लोगों को इस यंत्र को वास्तविक रूप से दे रहा हूँ,आशा है आप सभी इस यंत्र का लाभ प्राप्त करेंगे।

सन २००१ ई. की बात है,मेरे माता पिता का देहान्त होगया था,मेरे भाई लोग उनके अन्तिम समय में आये और चले गये,उनके देहान्त के समय मेरे पास फ़ूटी कौडी नही थी,लोगों से उधार लेकर मैने जैसे तैसे उनके क्रिया कर्म करे,जिसका लिया था उसका देना तो था ही,कोई दरवाजे पर आकर मांगने लगे तो बहुत बुरा लगता था,उस समय जयपुर के ही एक सज्जन के साथ मैं ऋषिकेश गया था,वहांपर जाकर बाबा नीलकंठ का दर्शन करना भी जरूरी समझा और जीप से उनके धाम पर पहंचा,बाबा के दर्शन तो किये लेकिन अनमने भाव से ही दर्शन कर पाया,चिन्ता घर पर मांगने वालों की लगी थी,कि जिनको जो समय दिया है,वे उसी समय पर आकर तकादा तो करेंगे ही,इसी चिन्ता के चलते मैं जयपुर वापस आगया,और पत्नी ने मांगने वालों की लिस्ट पकडा दी,कि सभी तकादा करने आये थे,मैं भगवान के भरोसे अपने बनाये मंदिर में पूजा करते करते ही भाव विव्हल हो गया,और माता दुर्गा के सामने अपने आंसुओं को नही रोक पाया,उन्ही की आराधना करते करते मेरी पता नहीं कब आंख लग गयी,मेरे उस सुसुप्त अवस्था में मैने महसूस किया कि जोर से आंधी चल रही है,और सिहरन भी आ रही है,धडधडाहट की आवाज भी आ रही है,उसी आवाज के अन्दर एक सर्वांग सुन्दर मदभरे नेत्र,चौडा माथा,महातेजस्वी मुखमंडल दिव्य रूप लेकर माँ लाल साडी में सामने थी,उन्होने अपने साथ चलने के लिये कहा,मैं उनके साथ साथ चल दिया,वे मुझे लेजाकर एक बहुत बडी नदी के किनारे पर गयीं,और बोलीं कि देख सामने जो खेत दिखाई दे रहा है,उसे ध्यान से देख,यह वही खेत है,जो सभी को धनपति बनाता है,और इस खेत से धन प्राप्त करने का एक संकेत है,उस संकेत को ध्यान से सुन,उन्होने मंत्र रूपी वह संकेत मुझे दिया,और कहा कि इसी प्रकार का खेत तू अपने पास बना,और इसी मंत्र रूपी संकेत से आवाज दे,जब तक सही आवाज नही पहुंचेगी,खेत धन नही देगा,और जैसे ही यह खेत धन देना चालू करे,अपने खर्चे के अनुसार खर्च करना,शराब कबाब और राक्षसी भोजन से दूर रहना,जो बचे उससे कन्या पालन और कन्यादान करना,इतना कहकर वह देवांगनी माता मुस्कराने लगीं,मैं किंकिर्तव्यविमूढ सा उनके सामने खडा था,अचानक महसूस हुआ कि मेरे पैर कोई बडी जोर से खींच रहा है,उसी समय चेतना में आया तो देखा,मेरी पत्नी मेरे पैर पकडे रो रही थी,मैनें चेतना में आकर उससे पूंछा कि क्या बात है,उसने घडी की तरफ़ इशारा करते हुये बताया कि आप चार घंटे से चेतना में ही नही आ रहे है,घर पर भी कोई नही है जो आपको किसी डाक्टर के पास ले जाती,मैने उसे समझाया कि यह अवस्था ही समाधि अवस्था कहलाती है,इसके लिये किसी डाक्टर की जरूरत नही पडती है।

उस द्र्श्य को देखकर उस खेत का रूप मुझे याद रहा,उस खेत के बीच में लाल रंग की क्यारियां सबसे बीच में पीले रंग की क्यारियां हरी और काली सभी प्रकार की क्यारियां जैसी की तैसी मेरे दिमाग में लिख सी गयीं थी,मैने सोचा कि इतना बडा खेत कहां से बना पाऊंगा,और जब खेत नही बना पाऊंगा तो संकेत का प्रयोग कैसे करूंगा,अचानक मन में ध्यान आया कि किसी प्रकार के बडे पेड को लगाने के लिये अगर पेड न मिले तो उसका बीज भी उसी तत्व से पूर्ण होता है,जिस प्रकार से एक बरगद के पेड का समूचा रूप एक सरसों से भी महीन बीज के अन्दर समाया हुआ है,इस बात का ध्यान आते ही मैने काल्पनिक रूप से उन्ही रंगों के बीजों को एक चौकी के ऊपर वह रूप बनाया,और देखने लगा,उसे देखकर मानसिक रूप से आश्वस्त नही था कि वह वास्तव में उस खेत का रूप है,वह पूजा में चौकी पर उसी प्रकार से बना हुआ रखा था,दूसरे दिन गीता का पाठ करने के लिये रखे गये पंडितजी ने बताया कि जो मैने रूप बनाया था वह कुबेर-मंडल है और अक्सर बडे बडे यज्ञ और प्रयोजनों में यह बनाया जाता है,उन्होने पूरा विस्तार से मुझे बताया,मैने उनको पूरा वृतांत बताया तो उन्होने भी आश्वस्त किया कि वह वास्तव में धन दायी है,मंत्र भी कुबेरदेवता का था।

इस यंत्र का निर्माण करने के बाद जो जीवन में बदलाव आया,वह बताने के लिये इतना ही काफ़ी है कि एक पशु जैसी जिन्दगी जीने वाला व्यक्ति कहां पर है,वह कभी अपनी कहानी में लिखूंगा।

सर्वेगुणाकांचनम आश्रयन्ति

यह यन्त्र मन्त्र वेदों से प्रमाणित है,यह आगे चलकर मुझे अध्ययन करने के बाद पता चला,और प्रत्येक सदगृहस्थ के लिये उपयोगी है,तामसी वृत्तियों वाले कृपया इसका अनुसरण नही करें,और न ही लोभ से इसे अपने जीवन में अपनायें,अन्यथा लाभ की जगह पर हानि होने की अधिक संभावना मानी जा सकती है। इसका अनुसरण प्रत्येक स्त्री या पुरुष कर सकता है,अगर कोई व्यक्ति कम पढा लिखा है तो वह किसी योग्य लोभ रहित ब्राह्मण से यंत्र का निर्माण करवाकर मंत्रों का जाप करवा सकता है।

विधान

घर के अन्दर स्वच्छ स्थान पर या पूजा स्थान में लक्ष्मी माता का चित्र स्थापित कर लेना चाहिये,उसी के साथ अपने द्वारा पूजे जाने वाले या माने जाने वाले इष्ट या गुरु का चित्र स्थापित कर लें,इसके बाद लक्ष्मी का सुगंधित द्रव्य लेकर षोडशोपचार से पूजा करके लक्ष्मी का विष्णु सहित आवहान करना चाहिये,इसके साथ ही कुबेर यंत्र की स्थापना कर लेनी चाहिये,यंत्र अधिक प्रभावशाली है,इसी लिये कहा भी गया है कि इस यंत्र को पिता अपने तामसी बेटे को भी न दे,अन्यथा उसके कुल का विनाश हो सकता है। प्राचीनकाल में इसका स्थापन ऋषि मुनि अपने आश्रम में किया करते थे,और इसी की सहायता से हजारों शिष्यों और अतिथिओ की सेवा सुश्रूषा किया करते थे।

इस यंत्र के प्राचीन स्थान जहां पर यह यन्त्र स्थापित किया गया था

भारत के राजस्थान प्रान्त के जोध्पुर से लगभग १२५ किलोमीटर दूर फ़लौदी नामक स्थान पर एक ब्राह्मण बगीची नामक स्थान पर रहा करता था,उस स्थान में एक पालीवाल गोत्र के ब्राह्मण निवास करते थे,उनके दोनो हाथ नही थे,अपनी पूजा और यज्ञ का काम वे अपने पैरों से किया करते थे,उनके आश्रम में कुबेर यंत्र की स्थापना थी,उन्होने कभी किसी से भिक्षा,समाज से सहायता,दान या पुरस्कार नही लिया था,लेकिन उनके आश्रम में आने वाले हजारों लोग कभी भूखे या संतुष्टि के बिना वापस नही गये।

फ़लौदी से ही ७ किलोमीटर दूर लोर्डिया नामक स्थान पर भगवान शंकर के शिवलिंग के साथ ही भूमिगत कुबेर यंत्र की स्थापना है,कहा जाता है कि उस मंदिर के पुजारी के यहां वैभव बरसता है,और शिवमंदिर की महिमा इतनी निराली है कि जो भी वहां पर अपनी मान्यता के लिये जाता है,उसकी मान्यता जरूर पूरी होती है।

यन्त्र का विधान

इस यंत्र को किसी सुपात्र या अच्छे व्यक्ति से गुरु पक्ष या रवि पक्ष अथवा नवरात्रि में अथवा दिवाली या विजयकाल में बनाना चाहिये,फ़िर उसका यथोचित प्रकार से स्थापन किसी चौकी पर करना चाहिये,और उसे द्र्श्य रखने के लिये चौकी के ऊपर किसी प्लास्टिक की पन्नी को पूरी तरह से लपेट कर रखना चाहिये,जिससे आगे के समय में चूहों या घर के सदस्यों या बच्चों के द्वारा उसे खराब नही किया जा सके,साथ ही ध्यान रखना चाहिये कि कभी पूजा करते वक्त स्थापना किये स्थान से उसे हटाना नही चाहिये,और न ही उस चौकी के अन्दर किसी प्रकार की धक्का मुक्की हो,जिससे वह बनाया हुआ मंडल खराब न हो जाये। साफ़ सफ़ाई करने के लिये मोर पंखी का स्तेमाल करना चाहिये और हल्के से मोरपंखी से उस पर जमी धूल आदि को साफ़ करते रहना चाहिये।

यंत्र का निर्माण

निर्माण के लिये सामान इस प्रकार से है:-
एक चौकी आम की
एक सफ़ेद कपडा जो चौकी पर समतल रूप से बिछाया जा सके और चौकी के नीचे उसे सूतली से बांधा भी जा सके,चौकी भी इतनी बडी हो कि उसके अन्दर १८x१८ के चौके बनाये जा सकें।
काले रंग का धागा जिससे चौकी के ऊपर चौके बनाने की मार्किंग की जा सके।
सफ़ेद रंग के लिये चावल
हरे रंग के लिये मूंग
काले रंग के लिये काले उडद (माह)
लाल रंग के लिये मसूर की दाल
पीले रंग के लिये चने की दाल

दिये गये चित्र के अनुसार उसी रंग के अनाज को चौकी पर बने चौकों में भर दें।

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इस को बनाने के बाद चौकी को जहां पर स्थाप्ति किया गया है,उसी चौकों के ऊपर उत्तर दिशा में सांप का आकार,पश्चिम में शंख का आकार,दक्षिण में गदा का आकार,और पूर्व में कमल के फ़ूल का आकार बना लेना चाहिये।

इस काम को करने के बाद इसे स्थापित करने का मंत्र आदि का पाठ करना चाहिये।

विनियोग

दाहिने हाथ में पुरुष और बायें हाथ में स्त्री जल लेकर इस मंत्र को पढे और मंत्र को पढने के बाद हाथ का पानी चौकी के चारों तरफ़ घडी की दिशा के अनुसार हाथ को घुमाकर छोड दे।

"ऊँ अस्य कुबेर मंत्रस्य विश्रवा ऋषि: बृहती छंद: शिवमित्र धनेश्वर देवता,दारिद्रय विनाशने पूर्णसमृद्धि सिद्धयर्थे जपे विनियोग:"।

ध्यान

विनियोग करने के बाद इस श्लोक को पढकर श्री कुबेर देवता का ध्यान करे-

"ऊँ मनुजबाहुविमान वरस्थितं गरुडरत्नाभिं निधिनायकम।
विवसखं मुकुटादिभूषितं वरगदे दधतं भज तुन्दिलम॥

अर्थ

मनुष्य की बाजुओं को विमान बनाकर उन के अन्दर यात्रा करने वाले,रत्नों से विभूषित गरुड को धारण करने वाले,संसार की सभी सम्पदाओं से युक्त विव के सखा,मुकुट आदि शुशोभित एक हाथ में गदा और और दूसरे से वर देने की मुद्रा के रूप में,धन के देने वाले तुन्दिल नाम कुबेर अन्तर्ज्ञान में रहें।

मन्त्र

ऊँ श्रीं ऊँ ह्रीं श्री ह्रीं क्लीं वित्तेश्वराय नम: स्वाहा।

दस हजार सुगन्धित ताजे फ़ूलों को लेकर इस मंत्र के जाप के साथ यंत्र को पुष्पांजलि देनी चाहिये,फ़िर इस मंत्र का सात लाख जाप सात दिन के समय में करना चाहिये,और आठवें दिन सात हजार बार घी,तिल,शहद,पंचमेवा,खीर,लौंग,जौ,सात अनाज मिलाकर आम की लकडी के साथ हवन करना चाहिये,इससे यह यंत्र सिद्ध हो जाता है।

कुबेर मंत्र

ऊँ यक्षाय कुबेराय वैश्रणवाय धनधान्यादिपतये धनधान्यसमृद्धि में देहि देहि दापय दापय स्वाहा।

इस मंत्र का यंत्र के सामने उत्तराभिमुख बैठ कर रोजाना पांच माला का जाप करना चाहिये,खूब संपत्ति आजाये फ़िर भी इस मंत्र को नही छोडना चाहिये,आठवें दिन ३५० मंत्रों की घी की आहुति देनी चाहिये।

यह यंत्र और मंत्र जीवन की सभी श्रेष्ठता को देने वाला,ऐश्वर्य,लक्षमी,दिव्यता,पद प्राप्ति,सुख सौभाग्य,व्यवसाय वृद्धि अष्ट सिद्धि,नव निधि,आर्थिक विकास,सन्तान सुख उत्तम स्वास्थ्य,आयु वृद्धि,और समस्त भौतिक और पराशुख देने में समर्थ है। लेकिन तुलसीदास की इस कहावत को नही भूलना चाहिये,"सकल पदारथ है जग माहीं,भाग्यहीन नर पावत नाहीं",जिनके भाग्य में लक्षमी सुख नही है,वे इसे ढकोसला और न जाने क्या क्या कह कर दरकिनार कर सकते हैं।

यंत्र को आप बनवा भी सकते हैं

Kuber is the name of lord of Money, Kuber's place in north side, and also known as north Pole of earth. When you find directions through compass, needle of compass always in north side, it means very high positive phase in north side. Our mind also has two phase, one is negative and one is positive, positive mind always think to make, and negative mind always think to destroy. In our body left side is negative and right side is positive, fundamental idea you can find through the moving circle of earth, earth is moving east to north to west to south, the complete round finished between 24 hours. For the experiment you put water in round jar, and move forcibly in round, you find water place with side walls of jar, it is the effects of moving values of earth. Earth is moving in round 1296000 Miles in 24 hours. By the effects of moving the forces of positive energy going direct to north side on the earth. By this effects or moving earth our right side of body feeling very much strength, and in left side we find low energy. By the moving effects of earth water of the earth through to north and south side of earth, these are north and south poles, by the pressure of the air and water to both poles, water start to freeze, and ice land automatically generate. One question in mind, why only north and south poles freeze, why not eat west poles freeze, this formula you can find by the states of earth, earth band down 23.5 degrees, and by the effects of band down, much pressure presented with north and south poles. Our eyes like keyboard of computer, ears like sound sensor, nose like air sensor, skin like touch key pad. Like this formula Kuber Yantra gives squire effects through eyes in mind, and mind feels calculated squires in positive, and after seeing color combinations, like in measured area white squires, red squires, green squires, black squires, yellow squires. Each squire if we find on paper or other colored posters etc. all gives effects like calendars of gods or goddess, after seeing picture of God or Goddess we only can feel image, we can not find return pressures of the image. When You goes to a temple, church or in Masjid, you find very much strength of that place, and when you see any picture or poster or calendars, you can only learn, not much feelings, poster calendar and other imaging sources can not make positives like book, when a guru teach lesson or gives idea of seeing image, you find much satisfactions. The idol of God or Goddess gives much feelings, if that idol has well dressing, this formula south Indians knows very well, they always dressed idol by the ornaments of gold, silver, and other type gems for making more powerful idol. I made Kuber Yantra by the helps of Silver, Gold, and Gems for making this Yantra very powerful money provider, self confidence provider and always gives positive energy. Squires of silver and gold reflect energies of mind thinking when any person start worshiping of this Yantra.

Dakshina (Cost of this Yantra

The cost of this yantra with silver and gold strips (squire type) actual colors,those require on the place and save of the Yantra like pyramid theory.Each squire has a divine strength that pour by the mantra chanting (Ten thousand mantra for one squire) on accurate yoga of time like on Navaratra and Deeepawali.Dakshina is Rs.35000/- curior and insurance charges extra.

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यंत्र को केवल मंगाने वाले के नाम से बनाया जाता है,यह मंगाने के बाद वापस नही किया जाता है,इसलिये मंगाने से पहले श्रद्धा और विश्वास से ही मंगाने के लिये लिखें.
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