An imaginary substance through the means of which the ancient alchemists sought to transmit baser metals into gold. Probably an early concept of a catalytic agent. Used in occult terminology to indicate the power by which all life evolves and through which all minds and souls realize a mutual kinship. It signified the highest aspirations and the purest ideologies of altruism.
Venus and Jupiter, particularly when not afflicted. Some authorities include the Sun, Moon and Mercury, if favorably aspected. Malefic: The infortunes, Mars and Saturn, and by some modern authorities, Uranus and Neptune, whether afflicted or otherwise. Mercury unfavorably aspected is deemed a malefic with respect to money, law and marriage. Modern authorities consider no planet can be truly termed a malefic, except insofar as its vibrations are improperly applied, and is dependent largely upon its aspects for the nature of its operation.
केरलीय प्रश्न विचार
अंको या या संख्या द्वारा प्रश्न विषयक विचार केरल प्रदेश में सर्वाधिक प्रचलित है,इसी कारण इस शास्र को केरलीय ज्योतिष मे नाम से जाना जाता है। इस पध्दति से सम्बन्धित अनेक ज्योतिष ग्रन्थ उपल्ब्ध हैं,जैसे केरल प्रश्न संग्रह केरलीय प्रश्न रत्न प्रश्नचूडामणि आदि।
प्रश्न कैसे जाना जाये?
पूंछने वाला यदि सात्विक प्रवृत्ति का है,तो उससे किसी फ़ूल का नाम,अगर तेज तर्रार है तो किसी नदी का नाम,और व्यापारी है तो किसी देवता का नाम,और नौकरी पेशा करने वाला है तो उससे किसी फ़ल का नाम पूंछना चाहिये,कुच विद्वानो का मत है कि पूंछने वाला अगर सुबह को पूंछे तो किसी बालक के द्वारा किसी पेड का नाम जानना चाहिये,और दोपहर में किसी जवान आदमी से फ़ूल का नाम जानना चाहिये,शाम को किसी बूढे व्यक्ति से फ़ल का नाम जानना चाहिये। और हमारे अनुसार केवल प्रश्न पूंछने वाले से ही प्रश्न करना चाहिये,कि वह अपने प्रश्न का चिन्तन करते हुये अपने किसी भी इष्ट का नाम मन में रखे और फ़ूल नदी देवता फ़ल या वृक्ष का नाम ले,फ़िर उसके अनुसार अंक पिंड बनाकर प्रश्न संबन्धी विचार करना चाहिये।
एक समय में एक प्रश्न पर ही विचार करना चाहिये,हंसी मजाक या परीक्षा के लिये प्रश्न नही करना चाहिये,अन्यथा कालगति समय पर परेशान कर सकती है। केवल परेशानी में ही प्रश्न करने के बाद पूरा उत्तर मिल सकता है।
अंक पिंड बनाने के नियम
पूंछने वाला फ़ल फ़ूल नदी पेड या देवता जिसका भी नाम लें,उसे कागज पर लिख लें,तदोपरान्त स्वर व व्यंजन की संख्यानुसार उस नाम का पिंड बना लें,अंक पिंड के आधार पर ही प्रश्न के फ़ल का विचार किया जाता है। स्वर व व्यंजन के लिये प्रयुक्त संखा निम्न प्रकार समझें।
स्वर अंक चक्रम
स्वर | अ | आ | इ | ई | उ | ऊ | ए | ऐ | ओ | औ | अं |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
संख्या | 12 | 21 | 11 | 18 | 15 | 22 | 18 | 32 | 25 | 19 | 25 |
व्यंजन अंक चक्रम
व्यंजन | क | ख | ग | घ | ड. | च | छ | ज | झ | य़ं | ट |
---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|---|
संख्या | 13 | 11 | 21 | 30 | 10 | 15 | 21 | 23 | 26 | 26 | 10 |
व्यंजन | ठ | ड | ढ. | ण | त | थ | द | ध | न | प | फ़ |
संख्या | 13 | 22 | 35 | 45 | 14 | 18 | 17 | 13 | 35 | 27 | 18 |
व्यंजन | ब | भ | म | य | र | ल | व | श | ष | स | ह |
संख्या | 26 | 27 | 86 | 16 | 13 | 13 | 35 | 26 | 35 | 35 | 12 |
उपरोक्त अक्षरों में यदि ऋ का प्रयोग किया जाये तो रि की भांति (र+इ) को मानना चाहिये। लृ का प्रयोग केवल वैदिक मंत्रों के अन्दर होता है,जिज्ञासा के अन्दर इस अक्षर का महत्व नही है।
स्वर और व्यंजनो के अंक चक्रों में उनके नीचे संख्या का मान दिया गया है,पूंछने वाले के द्वारा कहे गये फ़ल फ़ूल नदी फ़ल वृक्ष या देवता के नाम के स्वर और व्यंजनों को अलग अलग कर लेना चाहिये,इसके बाद उपरोक्त सारणी के द्वारा संख्या को लिखना चाहिये,और दोनो के जोड को जानकर वही अंक पिण्ड मानना चाहिये।
उदाहरण के लिये अगर किसी ने "गुलाब" का नाम लिया,यह फ़ूल का नाम है,इसके अंक पिंड बनाने के लिये इस प्रकार की क्रिया को करना पडेगा:-
ग+उ+ल+आ+ब = 21+15+13+21+26+12=108 संख्या पिंड गुलाब का माना जाता है।
इस प्रकार से किसी भी नाम का अंक पिंड आसानी से आप बना सकते है।
प्रश्नों के प्रकार
केरलीय प्रश्न विचार के अन्दर विद्वानों ने उन्हे अनेक प्रकार से बांटा है,यहां पर अलग अलग प्रश्नों को हल करने के उद्देश्य से लिखा गया है,इनमें प्रश्नों के नौ प्रकार ही मुख्य हैं।
१. लाभ हानि के प्रश्न - किसी भी देवता या फ़ल फ़ूल या वृक्ष के नाम का पिंड+42 के जोड में 3 का भाग,1 में लाभ,2 में बीच का और 3 में हानि जाननी चाहिये।
२. जय और पराजय के प्रश्न-उपरोक्त प्रणाली के द्वारा पिंड+34 के जोड में 3 का भाग,1 बचे तो जय,2 बचे तो समझौता,और 3 बचे तो पराजय जाननी चाहिये।
३. सुख दुख से जुडे प्रश्न - उपरोक्त तरीके की प्रणाली से पिंड बनाकर 38 जोड कर 2 भाग देना चाहिये,1 बचे तो सुख और 0 बचे तो दुख जानना चाहिये।
४. आने जाने के प्रश्न - पिंड बनाकर 33 को जोडना चाहिये,3 का भाग देना चाहिये,1 बचे तो आना जाना होगा,2 बचे तो आना या जाना नही होगा,0 बचे तो आना या जाना होगा लेकिन काम नही होगा।
५.गर्भ और बिना गर्भ के प्रश्न -पूंछने वाले से उपरोक्त में किसी कारक (फ़ल फ़ूल या नदी पेड भगवान आदि) का नाम जानकर उसके पिंड बनाने चाहिये,फ़िर 26 जोड कर 3 का भाग देना चाहिये,यदि 1 बचता है तो गर्भ है,2 बचे तो गर्भ होने में संदेह है,और 3 बचे तो गर्भ नही है।
६.पुत्र या कन्या जानने के प्रश्न - पूंछने वाले से उपरोक्त में किसी कारक (फ़ल फ़ूल या नदी पेड भगवान आदि) का नाम जानकर उसके पिंड बनाने चाहिये,फ़िर उसी पिंड में 3 का भाग देना चाहिये,1 बचे तो पुत्र और 2 बचे तो पुत्री और 0 बचे तो गर्भपात समझना चाहिये।
७. तेजी मंदी जानने के प्रश्न - जो भी अंक पिंड है उसमे तीन का भाग दीजिये,एक बचता है तो सस्ता यानी मंदी,और दो बचता है तो सामान्य,और तीन बचता है तो भाव चढेगा,यह बात शेयर बाजार के लिये भी जानी जा सकती है,इसमें शेयर के नाम का पिंड बनाकर उपरोक्त रीति से देखना पडेगा।
८. विवाह वाले प्रश्न - इसमें वर और कन्या किसी भी पक्ष से उपरोक्त कारकों से कोई नाम जानकर उसके पिंड बना लेना चाहिये,उसके अन्दर आठ का भाग देना चाहिये,अगर एक बचता है तो आराम से विवाह हो जायेगा,दो बचता है तो प्रयत्न करने पर ही विवाह होगा,तीन में विवाह अभी नही होगा,चार में वर की तरफ़ से सवाल पर कन्या की और कन्या की तरफ़ सवाल जानने पर वर या कन्या के साथ कोई अपघात हो जायेगी,अथवा वर या कन्या के बारे में कोई गूढ बात आजाने पर विवाह नही हो पायेगा,पांच बचने पर उसके परिवार में कोई हादसा हो जाने से विवाह नही होगा,छ: बचने पर राजकीय बाधा सामने आने से विवाह नही होगा,सात बचने पर पिता को कष्ट होगा,आठ बचने पर विवाह तो होगा लेकिन संतान नही होगी,यह जानना चाहिये।
९. जन्म मरण के प्रश्न- उपरोक्त कारकों से कोई भी कारक नाम पूंछने वाले से जानना चाहिये,जिसके बारे में जाना जा रहा है वह उसका खून का सम्बन्धी होना जरूरी है,उस कारक के पिंड बनाकर उसके अन्दर चालीस की संख्या को जोडना चाहिये,और तीन का भाग देना चाहिये,एक बचता है तो जीवन बाकी है,दो बचता है तो जीवन तो है,लेकिन कष्ट अधिक है,शून्य बचता है,तो भगवान का भरोसा कहना चाहिये,सीधे रूप में मृत्यु है ऐसा नही कहना चाहिये।
अगर आपको जोड्ने और भाग देने में कोई कठिनाई है तो आप अपने द्वारा उपरोक्त नौ कारणों से अपने हित का चुन कर मेरे पास मय किसी फ़ल,या फ़ूल या वृक्ष,या नदी,या किसी भगवान का नाम भेज दीजिये,मेरा ईमेल का पता है:-
moc.liamg|airuadahbortsa#moc.liamg|airuadahbortsa