समस्या का समाधान

मेष राशि वालों की समस्या

मेष राशि वालो के लिये बुध मंगल और गुरु समस्या का कारण बनता है,बुध कर्जा दुश्मनी और बीमारी देता है,मंगल शरीर कष्ट और अपमान मृत्यु वाले कारण देता है,गुरु दिमाग को स्थिर नही होने देता है,और आराम के साधनों की प्राप्त करने में कष्ट देता है,लेकिन यही तीनो ग्रह ही समस्या को हटाने में अपनी भूमिका भी देते है,बुध बहिन बुआ बेटी के रूप में सामने होता है मन्गल भाई और पति के रूप में सामने होता है,और गुरु शिक्षा के रूप में सामने होता है,इनके लिये सहानुभूति और सहायता करने से तथा शिक्षा की तरफ़ अधिक ध्यान देने और इन्ही कारकों के लिये उपाय करने से इन ग्रहों की समस्यायें नही रहतीं है.बुध की समस्याओं के लिये घर के उत्तर में हरे चौडे पत्ते वाले पेड लगाने चाहिये,जैसे ही बुध की समस्यायें आनी शुरु हों,उन पेडों को काट छांट कर सम्भाल दीजिये,सूखे पेडों को काट कर या उखाड कर फ़ेंक दीजिये,मन्गल की समस्या के लिये शरीर का पोषण शुरु कर दीजिये,भाई के साथ मिलकर चलना शुरु कर दीजिये,आने जाने वालों को मीठा शर्बत या चाय पिलाना शुरु कर दीजिये,गुरु की समस्या के लिये घर में हवा आने के रास्तों को साफ़ कर दीजिये,घर के दरवाजे पर जमा गंदे पानी को हटा दीजिये,घर के ईशान से जूता चप्पल लैट्रिन आदि को हटा दीजिये,और किसी भी प्रकार से कचडा झाडू आदि को मत रहने दीजिये,घर मे प्रति गुरुवार को पूजा पाठ और देव आराधना शुरु कर दीजिये।

वृष राशि वालों की समस्या

वृष राशि के लिये शुक्र,गुरु और मन्गल समस्या देने का कारक होता है.शुक्र शरीर और रोजाना के काम काज करने की समस्या देता है,गुरु अपमान म्रुत्यु और जानजोखिम के काम देता है,मन्गल दिमाग को भारी करने और मिजाज को चिढचिढा बनाने और तुरत गुस्सा होने की आदत को देता है,वैसे तो वृष राशि वालों को गुस्सा आती नही है और आती है तो वे भयंकर रूप धारण कर लेते है.मन्गल वाली वस्तुयें मन्गल से सम्बन्धित लोग उनके लिये खतरनाक होते है उन्हे किसी प्रकार से भाई और पति या पत्नी के लिये सुनना पसंद नही होता है,अगर इनके बारे मे कोई कुछ कहता है तो उनके लिये सहन करना भारी होता है,इनका जीवन शुक्र के आधीन होता है,शुक्र ही इन्हे बरबाद करता है और शुक्र ही इन्हे जीवन प्रदान करता है,यह लोग पैसे के लिये पैदा होते है और भौतिक सुखों को भोगने के बाद चले जाते है,बिना सहायक के यह काम नही करपाते है इनके लिये भाई या पति अथवा पत्नी की सहायता बहुत जरूरी होती है,अक्सर भाई या पति पत्नी के हितों के लिये यह अपने को कुर्बान भी कर सकते है। शुक्र की पहिचान इनके लिये स्त्री और स्त्री सम्बन्धी कारणों के प्रति पहिचानी जाती है,यह अपने से हित से बोलने वालों के लिये जान तक देने के लिये तैयार हो जाते है और बोलने के प्रति यह डाट डपट तभी तक सुनते है जब तक कि यह किसी प्रकार से दबे होते है,जैसे ही यह फ़्री होते है फ़ौरन अपना प्रभाव दिखाना शुरु कर देते है,इनको शुक्र सम्बन्धी समस्या जैसे घर की किसी स्त्री से मनमुटाव या घर की साज सज्जा में अरुचि खाना बनाने या खाने के प्रति अरुचि मे इन्हे शुक्र से सम्बन्धित भोजन जैसे दही के बने व्यंजन छाछ और छाछ से बने व्यंजन खिलाने चाहिये,घर के उत्तर मे रंग बिरंगे फ़ूलों वाले पौधे लगाने चाहिये,इन्हे तुलसी का पौधा बहुत प्रिय होता है जिन घरों में तुलसी के पौधे होते है वे घर धन और सम्पत्ति से भरे रहते है,इन्हे तुलसी की आराधना और पूजा पाठ करना चाहिये,तुलसी की आराधना के लिये यह सूक्त काफ़ी लाभकारी है:-

तुलसी पूजा और धन की प्राप्ति

तुलसी-अष्टोत्तर-स्तोत्रम
जगद्धात्रि नमस्तुभ्यम विष्णोश्च प्रिय वल्लभे,यतो ब्रह्मादयो देवा: सृष्टि स्थित्यन्तकारिण:॥
नमस्तुलसि कल्याणि नमो विष्णु प्रिये शुभे,नमो मोक्षप्रदे देवि नम: सम्पत्प्रदायिके॥
तुलसीपाति मां नित्यं सर्वापदभ्यो॓ऽपि सर्वदा,कीर्तितापि स्मृता वापि पवित्रयति मानवम॥
नमामि शिरसा देवीं तुलसीं विलसत्तनुम,यां दृष्ट्वा पापिनो मर्त्या मुच्यते सर्वकिल्विषात॥
तुलस्यां रक्षितं सर्वं जगदेतच्चराचरम,या विनिहन्ति पापानि दृष्ट्वा वा पापिभिर्नरै:॥
नमस्तुलस्यतितरां यस्यै बद्ध्वांजलिं कलौ,कलयन्ति सुखं सर्वं स्त्रियो वैश्यास्तथा‍ऽपरे॥
तुलस्या नापरं किंचिददैवतं जगतीतले,यथा पवित्रितो लोको विष्णुसंगेन वैष्णव:॥
तुलस्या पल्लवं विष्णो: शिरस्यारोपितं कलौ,आरोपयति सर्वाणि श्रेयांसि वरमस्तके॥
तुलस्यां सकला देवा वसन्ति सततं यत:,अतस्तामर्चयेल्लोके सर्वान देवान समर्चयन॥
नमस्तुलसि सर्वज्ञे पुरुषोत्तमवल्लभे,पाहि मां सर्वपापेभ्य: सर्वसम्पत्प्रदायिके॥
इति स्तोत्रं पुरागीतं पुण्डरीकेण धीमता,विष्णुमर्चयता नित्यं शोभनैस्तुलसीदलै:॥
तुलसीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी,धर्म्या धर्मानना देवीदेवमन: प्रिया॥
लक्ष्मीप्रियसखी देवी द्यौर्भूमिरचला चला,षोडशैतानि नामानि तुलस्या: कीर्तयन्नरा:॥
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत,तुलसी भूर्महालक्ष्मी:पद्मिनी श्रीर्हरिप्रिया॥
तुलसी श्रीसखि शुभे पापहारिणि पुण्यदे,नमस्ते नारदनुते नारायणमन: प्रिये॥

(तुलसी का पौधा घर के ईशान कोण में लगाकर नित्य जल चढाने और उपरोक्त स्तोत्र का पाठ करने के बाद धनागम शुरु हो जाता है)

वृष राशि वालों के लिये मंगल का प्रभाव कम करने के लिये इन्हे लाल वस्तुओं से परहेज करना चाहिये,जब भी कोई लाल रंग का सामान घर मे लाया जाये तो इन्हे उस सामान से दूर रखने में ही फ़ायदा होता है,लेकिन महिलाओं को लाल सिन्दूर और लाल रंग से अपने पैरों को सजाना जैसे महावर लगाना आल्ता लगाना आदि फ़ायदे वाला होता है। गुरु के लिये घर के नैऋत्य में सोना और नैऋत्य में कोई रोशनदान आदि नही रखना इनके लिये लाभकारी होता है,इन्हे कभी भी अकेला नही रहने देना चाहिये,पति को पत्नी के साथ और पत्नी को पति के पास ही सोना चाहिये। पति पत्नी मे किसी को भी आमिष भोजन का प्रयोग करने पर इनके अन्दर संसार से अरुचि और एक दूसरे के अन्दर विद्रोह की भावना का उदय होना शुरु हो जाता है,गुरु का उपयोग करने ध्यान समाधि का प्रयोग करने से इनके लिये लाभ के रास्ते खुलते चले जाते है।

मिथुन राशि वालों की समस्यायें

मिथुन राशि वालो के लिये मन्गल शनि और शुक्र समस्या देने का कारण बनते है,मंगल इनके लिये नकारात्मक होता है,शनि इनके लिये मेहनत वाले काम करने के बाद अपमान मृत्यु और जानजोखिम के काम देता है,शुक्र इनके लिये धन को बरबाद करने और स्त्री सम्बन्धी कारणो में खर्चा और यात्रा आदि करवाने का कारक होता है। नकारात्मक मंगल होने के कारण इनका स्वभाव रोजाना के कामों के अन्दर फ़ूहड भाषा का प्रयोग करना,मैथुन और स्त्री पुरुष सम्बन्धो की तरफ़ जल्दी से आकर्षित होना,गन्दे से गन्दा काम करने के प्रति कोई अरुचि नही होना,छुपे रूप से दूसरों की जासूसी करना आदि मुख्य बाते मानी जाती है,इनके द्वारा लिया गया उधारी का धन अधिकतर मामलों में वापस नही लौटाया जाता है,इन्हे माता परिवार से कोई सहायता नही मिलती है और अधिकतर मामलों में छोटे भाई का सुख नही मिलपाता है,इनके अपने परिवार में रहने के समय इनके छोटे भाई और पति या पत्नी के खानदान में कोई तरक्की नही हो पाती है। इनके लिये शनि जब समस्या का कारक होता है तो यह अपने लिये घर बनवाने के लिये अपने स्थान को परिवर्तन करने के लिये काम धन्धे के लिये अपमान म्रुत्यु और जानजोखिम वाले कामो के प्रति परेशान होते रहते है,इनके लिये एक जन्म स्थान या रहने का घर एक बार जरूर बरबाद होता है,और दूसरी जगह पर जहां यह अपने पराक्रम से घर आदि बनवाते है वह स्थान इनके लिये अधिक समय तक सुरक्षित रहता है लेकिन घर बनवाते समय इन्हे काफ़ी जद्दोजहद झेलना पडता है,कितनो का अपमान सहना पडता है,कितनी बार अपनी जान को जोखिम में डालना पडता है,लेकिन घर बनवाने के बाद यह अपने घर से ही कमाने का स्त्रोत बना लेते है चाहे वह किराये के रूप में हो या अन्य किसी अन्य रूप में,शुक्र इन्हे परेशान करने के लिये केवल इसलिये माना जाता है कि पुत्र की पुत्रवधू इनके द्वारा किये गये कामों में अपना दखल चालू कर देते है,और समय पर यह अपने को पुत्रवधू से अलग थलग कर लेते है,किसी कारण से इनको अगर साथ रहना भी पडे तो पुत्रवधू के लिये यह खतरनाक ही साबित होते हैं.

कर्क राशि वालों की समस्यायें

कर्क राशि काल पुरुष की चौथे भाव की राशि है,चन्द्रमा का घर है और सुख भाव के नाम से जाना जाता है,यह संसार के जीवों की उत्पत्ति की राशि कही गयी है और इसी राशि से माता के सुख की कल्पना की जाती है,जातक के जन्म का इतिहास जाना जाता है जिस प्रकार से कर्क राशि का जन्म का वृतान्त और जीवन की पहली शुरुआत देखी जाती है उसी प्रकार से कर्क की त्रिकोण की राशि वृश्चिक राशि को जवानी का घर माना जाता है,और मीन राशि को जो कर्क राशि की नवी और भाग्य प्रदाता मानी जाती है,को कर्क राशि की मोक्ष की राशि कहा गया है। कर्क राशि में जो भी ग्रह आता है वह धर्मी हो जाता है,वह कर्क राशि वाले से अपने ममत्व की आकांक्षा करता है और बिना किसी भेद भाव के अपना दुख जो भी होता है सुनाता है और कर्क राशि वाला भाव विभोर होकर सुनता है और जिसने अपने दुख सुख को कहा है उसे अपना ही मान कर उस मैटर पर घंटो और दिनो तक सोचता रहता है,इस प्रकार से लम्बे समय तक बैठा रहना और लम्बे समय तक सोच मे डूबे रहने के कारण कर्क राशि वाले की शरीर की स्थिति बेढंघी हो जाती है,या तो शरीर लगातार एक ही जगह पर बैठे रहने और अधिक सोचने के कारण मोटा होकर फ़ूलता जाता है अथवा एक कारण और मिलता है कि कर्क राशि वाला खाना खाते वक्त भी विचारों मे रहने के कारण उसे पता नही लगता है कि खाना कितना खाया है और शरीर की ग्रहण करने की क्षमता या तो बढ जाती है या फ़िर केमिकल शरीर मे बढने लगते है। कर्क राशि वाले बहुत अधिक मानसिक चिन्ता को करने वाले होते है,उनके लिये माता का सुख बहुत महत्व रखता है। और माता से यह अलग रहने के बाद अपने को सुखी नही रख सकते है,माता के रहते यह भूखे भी रहकर सुखी रह सकते है और माता के बिना यह खा पीकर भी दुखी रहते है। कर्क राशि के लिये राहु बहुत महत्व रखता है,राहु इस राशि वाले को केमिकल का मास्टर बना देता है जबकि मंगल इस राशि वाले को खूनी उपाधि भी दे सकता है। कर्क राशि का जातक अपने लिये कुछ नही कर पाता है वह अपने परिवार और सामाजिक विसंगति को दूर रखने के उपाय करता रहता है। कर्क राशि मे शनि होने से जातक के अन्दर मानसिकता के अन्दर केवल प्रभाव वाले कारण करने और समाज से दूर रहकर भी औकात को बढाने वाले काम करते हैं।

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